असली की पहचान अब हुई आसान...

केसर:

  • केसर कश्मीर में होती है |क्यूंकि यहाँ केसर कि खूब फसल होती है |शुद्ध केसर स्वाद में खारी या कड़वी होती है |जरा सी केसर जीभ पर रख लें |१५-२० मिनट तक रखें |यदि आपका सर गर्मी से भनाने लगे या कुछ गर्मी जान पड़े,तों समझ लें कि केसर असली है |
  • असली केसर आसानी से टूटती  नहीं |
  • असली केसर पानी में जल्दी घुल जाती है |
  • केसर को कुछ देर पानी में भिगो दें फिर उसे एक सफेद कपड़े पर लगाएं असली होने पर कपड़े पर फौरन पीला रंग चढ़  जायेगा |

शहद:

  • असली शहद को कुत्ता नहीं खाता| रोटी शहद में भिगोकर कुत्ते के आगे रख दें यदि शहद असली होगा, तों कुत्ता सूंघकर नही खायेगा |
  • रुई कि बत्ती बना इसे शहद में भिग दें |अब इस बत्ती को जलाएं |यदि यह घी कि तरह जलने लगे तों शहद असली है |
  • असली शहद को कागज़ पर रख दें,कागज नहीं गलेगा |
  • कागज़ या नोट पर रख दें,तों उस पर चिपकेगा नहीं |
  • पान वाला गीला चुना हथेली पर रखें |अब इसमें कुछ बूंदें शहद कि मिलाने के बाद हथेली रगरे|यदि हथेली जलने लगे,तों शहद असली है |
  • अंगुली में शहद को लगा आँखों में लगाएं|यदि आँखों में आंसू आये तथा आँखों में जलन हो,तों शहद असली है |
  • शहद वाले बर्तन में घरेलू मक्खी छोड़ दें तथा उसके ऊपर कडछी से काफी सारा शहद डाल दें |मक्खी मरेगी नहीं,उड़कर भाग जायेगी |
  • शहद को एक बूँद पानी भरे कांच के गिलास में डालें |यदि वह बूँद बिना घुले सीधे गिलास के तले में बैठ जाए,तों असली समझे,यदि घुल जाए तों नकली |
  • असली शहद को फ्रिजर में रखने पर जमेगा नहीं |
चाय:
  • एक सफेद कागज को थोडा सा गीला कर लें तथा इस पर चाय कि थोदिपत्तियां बिखेर दें |यदि वे अपना रंग कागज़ पर छोडती हैं,तों चाय नकली है,क्यूंकि पाकृत चाय रंग नहीं छोडती |

कॉफी:

कॉफी पानी में घोलें,असली कोफ़ी पानी में जल्दी से घुल जायेगी |अगर तले में कुछ बचता है,तों कॉफी में मिलावट है |

हिंग:
  • असली हिंग आग पर डालते ही महक के साथ धुंआ देने लगती है तथा इसकी लौ चमकीली होती है |
  • असली हिंग को जीभ पर रखने से जीभ चरपराती है तथा यह स्वाद में कड़वी लगती है |
  • पानी में घोलने पर असली हिंग केवल दुधिया रंग देती है |






दूध:
  • दूध कि कुछ बूँदें सफेद कांच कि पेट पर रख कर उसे टेडा कर दीजिए,यदि पानी मिला होगा तों दूध तेज़ी से बह जाएगा |यदि शुद्ध होगा तों दूध कि कुछ बुँदे लुढकती हुई लकीर बनाती हुई जायेंगी |
खोया:
  • ५ ग्राम खोये को थोड़े से पानी में उबाल कर थाब्दा कर लें |अब उसमे कुछ बूँदें आयोडीन के घोल कि डालें |तुरंत नीला रंग आ जाए तों समझिए उसमे स्टार्च मिला है |
मक्खन :
  • आयोडीन कि कुछ बूँदें पिघले मक्खन में डालें |यदि वह तुरंत नीले रंग में बदल जाए तथा उसमे बुलबुले उठने लगें,तों समझ लें कि  मक्खन में आलू,शक्क्कंदी या मैदे का स्टार्च मिला हुआ है |इनके मिलाने से मक्खन का वजन बढ़ गया है|






देसी घी:


एक चम्मच नमक का तेज़ाब डालें|अब परख नली पर ढक्कन लगाएं और कुछ देर बाद उसमे एक चुटकी भर चीनी डालें |अब परख नली को पांच मिनट तक हिलाने के बाद रख दें |यदि परख नली के तले में लाल रंग आ जाए,तों विचित्र रूप से इसमें वनस्पति मिला है |


काला जीरा :


 थोड़े से जीरे को हथेलियों में रख कर रगरे|यदि हाथों में कुछ लग जाए,तों समझ लेना चाहिए कि जीरे पर रंग चढा हुआ है |शुद्ध काला जीरा रसंग नही छोड़ता |




क्या आप दुबलेपन से परेशान हैं...



आमतौर पर देखा गया है कि दुबले पतले लोग गोल-मटोल लोगों से अधिक शक्तिशाली होते हैं,परन्तु यह बात हमेशा खरी नहीं उतरती |हाँ,ऐसे लोगों में चुस्ती-फुर्ती अधिक होती है |यह फुरतीलापन ही वह चीज़ है,जिसके कारण बहुत से लोग अपना वजन इकहरा बनाए रखना चाहते हैं |

दो प्रकार के लोगों पर दुबलापन देखने में आता है-पारिवारिक प्रभाव से अर्थात जन्म से शरीर कि बनावट पतली होने वाले लोग भी दुबले होते हैं |दूसरे प्रकार के लोग किसी भी पुराने रोग से पीड़ित होने अथवा पाचन क्रिया कि गडबडी वाले लोग दुबले होते हैं |
चयापचय ठीक न होने के कारण खाध पदार्थ का पूरा आक्सीजन न होने से व्यक्ति कमजोरी थकान और भूख न लगने से ग्रस्त हो जाता है |भोजन के प्रति अरुचि व्यक्ति को बेहतर दुबला पतला कर देती है |
आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत मोटे तथा अत्यंत दुबले शरीर वाले व्यक्तियों को निंदित व्यक्तियों की श्रेणी में माना गया है। वस्तुतः कृशता या दुबलापन एक रोग न होकर मिथ्या आहार-विहार एवं असंयम का परिणाम मात्र है।

दुबलापन रोग होने का सबसे प्रमुख कारण मनुष्य के शरीर में स्थित कुछ कीटाणुओं की रासायनिक क्रिया का प्रभाव होना है जिसकी गति थायरायइड ग्रंथि पर निर्भर करती हैं। यह गले के पास शरीर की गर्मी बढ़ाती है तथा अस्थियों की वृद्धि करने में मदद करती है। यह ग्रंथि जिस मनुष्य में जितनी ही अधिक कमजोर और छोटी होगी, वह मनुष्य उतना ही कमजोर और पतला होता है। ठीक इसके विपरीत जिस मनुष्य में यह ग्रंथि स्वस्थ और मोटी होगी-वह मनुष्य उतना ही सबल और मोटा होगा।

दुबलापन क्यूँ:

  • पुराना कब्ज एवं आँतों में मल जमा रहना |
  • दुर्बल पाचनक्रिया-जब पाचन क्रिया के अंग दैनिक आहार से पौष्टिक तत्व शरीर को नहीं दे सकते,तब दुर्बलता रहती है |
  • मानसिक दर्द तथा चिंताएं |
  • किसी भी पुराने रोग से पीड़ित रहने के कारण |
  • गल-ग्रंथि कि दुर्बलता |
  • दिनभर के परिश्रम से शरीर में होने वाली क्षति कि पूर्ति के लिए आवश्यक आराम एवं पौष्टिक आहार नहीं लेना |

प्राकृतिक चिकित्सा :

यदि किसी रोग के कारण दुबलापन हो,तों पहले उस रोग कि चिकित्सा करा कर रोगमुक्त होने के पश्चात वजन बदाने के लिए निम्न नियमों होने के पश्चात वजन बदाने के लिए निम्न नियमों के पालन द्वारा अपना वजन बढाना चाहिए 

  • प्रात:काल खाली पेट गर्म ठंडा सेक करने के लिए गर्म पानी से भरी रबड़ कि बोतल एक मिनट पेट पर रखने के पश्चात ठन्डे पानी से भिगोया छोटा तौलिया दो मिनट के लिए रखना चाहिए|इस प्रकार गर्म ठंडा सेक पांच बार एक साथ करना चाहिए |ऐसा करने से पेट कि मांस पेशियाँ अपनी सोयी हुई शक्ति पुन:प्राप्त करेंगी |उनके कोष सक्रिए होंगे और पुराना मल निकालने में सहयोग करेंगे |
  • आँतों में पुराना मल साफ़ करने के लिए नित्यप्रति एक बार ५०० ग्राम ताज़ा पानी का एक माह तक एनिमा करना चाहिए |
  • पेट साफ़ रखने के पश्चात प्राणायाम,हल्का व्यायाम,सर्वांगासन,योगासन,उत्तानपाद आसन,धनुरासन,शवासन वजन बढाने में विशेष लाभकारी हैं |
  • व्यायाम करने के पश्चात प्रतिदिन मालिश करने से त्वचा खुलती है और वजन बढ़ जाता है |इस से शरीर गठीला बनता है |
  • मालिश करने के पश्चात २० से ३० मिनट तक धूम्रपान करके अह्रीर को तौलिए से रगढ-पोंछ कर स्नान करना चाहिए |
  • एक सप्ताह से दो सप्ताह तक केवल फलाहार पर रहना चाहिए |ताज़ा फल एवं सब्जियों के खाने से पेट साफ़ होने में सहायता मिलती है |

बालों कि समस्याएं और उपचार...

एक दिन में ३० से ५० और हफ्ते में ३०० से ५०० बाल झड़ते हैं |इस के कई कारण होते हैं |दरअसल बालों कि जड़ें बहुत नाजुक होती हैं |हमारे शरीर में जो भी बिमारी होती है उस का प्रभाव बालों पर पड़ता है |बिमारी होने के ३-४ महीने बाद भी हमारे बालों कि समस्या लगातर चलती रहती हैं|

बालों के झड़ने के कारण:

अक्सर डिलीवरी के बाद महिलायों के बाल झड़ने कि समस्या पैदा हो जाती है |इस कि निम्न वजहें हैं :

  • इन्फेक्शन:इस के कारण बालों पर प्रभाव पड़ता है |ओए बाल झड़ने लगते हैं |अधिकतर बाल किडनी और उरिन के इन्फेक्शन के कारण झड़ते  हैं |
  • हार्मोनल इन्बेलेंस:हार्मोन्स में बदलाव आने के कारण बाल झड़ते हैं |डायबिटीस के कारण भी बाल झड़ते हैं |
  • ड्रग्स और केमिकल:ड्रग्स या केमिकल लेने के कारण भी उन का साइड इफेक्ट होता है और बाल झड़ते हैं |अधिक दवा लेना जैसे कि एंटी थायराइड ड्रग,पेन किलर लेने पर भी बाल झड़ते हैं |केंसर के मरीजों के बाल अधिक झड़ते हैं |
  • तनाव:ज्यादा काम का बोझ होना,ज्यादा सोचना और टेंशन से भी बाल झड़ते हैं |
  • बालों को कस के बांधना:हेयरस्टाइल जैसे कि बालों को कस के पोनितिल ,जिस में बालों कि जढ खींचती हो,बालों के झड़ने का कारण होता है |
  • वंशानुगत:बाल झड़ने का कारण वंशानुगत भी होता है |

उपचार:

  • समय पर भोजन लेना चाहिए |
  • खाने में अधिकतर प्रोटीन लेना चाहिए जैसे कि दूध,अंडे कि सफेदी,मीत,डाल आदि |
  • हरी सब्जियां,फ्रूट्स,व सलाद अधिक मात्र में लें |

अगर ५० से १५० बाल प्रतिदिन झड़ते हों:

  • १ दिन में ३ कप दूध लें |
  • विटामिन कि टेबलेट लें |
  • बाल ज्यादा झड़ते हों तों डाक्टर कि सलाह लें |

बालों में रूसी:

  • हमेशा बालों में तेल लगे रहने पर 
  • सही शेम्पू का इस्तेमाल न करने पर |
  • बालों कि जड़ों में रूखापन होने पर |
  • धुल व प्रदूषण के कारण |
  • तनाव व काम का बोझ होना |

उपचार :

  • धूल मिटटी से बालों को बचाएं |
  • सही शेम्पू का इस्तेमाल करें |
  • हफ्ते में २ बार बाल धोएं |
  • तेल का इस्तेमाल बालों को धोने से २ घंटे पहले करें |

अगर ड्रग्स २ से ३ हफ्ते में खतम न हो तों:

  • एंटी डेंड्रफ शेम्पू हफ्ते में २ बार इस्तेमाल करें |इस से १ महीने में आप का डेंड्रफ कंट्रोल हो जाएगा |इस के बाद हफ्ते में एक बार इस का इस्तेमाल करें |
  • स्न्फ्लावर आयल और ओलिव आयल हफ्ते में २ बार रात को सोने से पहले बालों कि जड़ों में लगाएं और दुसरे दिन शेम्पू करें |