मसूड़े की देखभाल कैसे करें ?

मसूड़ों से खून निकलना एक सामान्य बीमारी है जिस से ज्यादातर लोग प्रभावित होते हैं|मसूड़ों में इन्फेक्शन होना,जब यह बिमारी मसूड़ों के साथ-साथ उसके आस पास की हड्डी तक पहुंचती है तो इसे पायरिया कहते हैं|




लक्षण :

इसका मुख्य लक्षण मसूड़ों से खून निकलना है|शुरू में ब्रश करते खून निकलता है|जब यह बीमारी बढ़ जाती है तो सारा दिन खून निकलता है|
  • मुख से दुर्गन्ध आने लगती है|
  • कभी-कभी खून के साथ साथ मसूड़ों में मवाद भी निकलने लगता है|
  • धीरे-धीर दांत हिलने लगते हैं और जल्दी ही गिरने लगतें हैं|
  • इसमें नीचे के जबड़े के आगे वाले दांत सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं|
कारण:

  • मसूड़ों से खून निकलने का एवं पायरिया बीमारी का मुख्य कारण दांतों एवं मसूड़ों के बीच खाने का फसना और और उसका सडना है|इन भोजन के फसे हुए टुकड़ों को मूह में उपस्थित बेक्टीरिया उसे सडातें है|जिससे TOXINS बनते हैं|और यह टोक्सिंस दांतों और मसूड़ों को खराब करते हैं|
  • इस बीमारी का अन्य कारण दांतों का सही तरीके से साफ़ नही होना भी है|दांत ठीक से साफ़ नही होने के कारण भोजन के कण फस कर सड़ते है तथा बीमारी को जनम देते हैं|
  • कभी-कभी ठीक तरीके से ब्रश न करने के कारण,ब्रश मसूड़ों में घाव बना लेते हैं जिस से खून निकलता है|
  • जो लोग धुम्रपान करते हैं उन्हें इस बीमारी के होने के ज्यादा सम्भावना होती है|
  • जिन लोगों का immune system कमजोर होता है या जिन्हें हिमोफिलिया या एड्स जैसे बीमारी होती है,उनको मसूड़ों की बीमारी होने की ज्यादा सम्भावना होती है|
  • कुछ fungal and bacteria infections में भी मसूड़े लाल रंग के हो जाते हैं|उनसे खून निकलने लगता है
बचाव:
  • मसूड़ों से खून न निकलने के लिए दांतों और मसूड़ों का साफ़ होना अति आवश्यक है|
  • इसके लिए प्रतिदिन सुभ और रात्रि में सोने से पहले अच्छी तरह ब्रश करना अति आवश्यक है|
  • रात्री में सोने से पहले ब्रश करने के बाद गर्म पानी,नमक,थोड़ी सी फिटकरी मिलाकर अच्छी तरह से कुल्ला करना चाहिए|
  • कुछ भी खाने के बाद अच्छी तरह कुल्ला करना अति आवश्यक है|
घरेलू उपचार:
  • परवल,नीम,जामुन,आम और चमेली ले पत्तों का काढ़ा बनाकर मूंह में रखने से लाभ मिलता है|
  • दारु हल्दी को पानी में पकाएं जब यह पकते-पकते गाढ़ी हो जाये तब इसमें शहद मिलाकर मूंह में रखने से फायदा होता है|
  • जामुन की लकड़ी की राख को मलने से दांतों से खून निकलना बंद होता है|
  • बेल के ५ तोला शरबत में ५ तोला दूध मिलाकर पीने से मसूड़ों के रोगों में आराम मिलता है|
  • कपूर १० ग्राम भुना तूतिया १० ग्राम कलि मिर्च २० ग्राम माज्फूल,पिप्पली और फिटकरी २०-२० ग्राम नमक तथा सोना गेरू तम्बाकू आदि ४०-४० ग्राम लें,सभी को बारीक़ चूर्ण करके मिला लें इस मंजन के प्रयोग से मसूड़ों एवं दांतों की बिमारियों से आराम मिलता है|शहद या सरसों के तेल के कुल्ले करने से भी लाभ मिलता है|

लौंग के लाभ...


लौंग नेत्रों को हितकारी,कफ,पित्त रक्त रोग,प्यास,वमन ,अफारा ,श्वास हिचकी का नाश करता है|
नेत्ररोग:
लौंग को ताम्बे के बर्तन में पीसकर,उत्तम शहद मिलाकर अंजन करने से नेत्र के सफेद भाग के रोग मिटते हैं|
नजले का मस्त्क्शूल:
दो लौंग और / ग्राम अफीम को पानी के साथ पीसकर गर्मकर ललाट पर लेप करें|नजले से उत्पन शिरोवेदना शांत होती है|
कफ निष्कासन के लिए:
लौंग के दो ग्राम जोकूत किये गये चूर्ण को १२५ ग्राम पानी में ओटावें |/ भाग रहने पर छानकर थोडा
गर्म कर पी लें|
श्वास की दुर्घंध :
लौंग को मूह में रखने से मूह और श्वास की दुर्घंध मिटती है|
दमा:
लौंग,आंकड़े के फूल और काला नमक सम्भाग लेकर चने के आकार की गोली बना ,चूसने से दमा और श्वास नलिका के रोग मिटते हैं|
जलन :
दो चार नग लौंग को शीतल जल में पीस कर मिश्री मिलाकर पीने से ह्रदय की जलन मिटती है|
हैजे की प्यास :
एक या ./ ग्राम लौंग को करीब डेढ़ किलो जल में उबालें |दो तीन उबाल आने पर उतार कर ढक देवें,इसमें से २०-२५ ग्राम जल बार बार पिलाने से हैजे से उत्पन प्यास मिटती है|
अफारे:
लौंग,सोंठ,अजवाइन,सेंधा नमक १०-१० ग्राम,गुड ४० ग्राम पीसकर ३२५-३२५ मिलीग्राम की गोलियां बनाकर - गोली दिन में - बार सेवन करने से अफारा दूर होता है|
उदर रोग:
बदहजमी खट्टी डकारें आदि में शुंठी,मिर्च,पीपल,अजवाइन १०-१० ग्राम सेंधा नमक ५० ग्राम,मिश्री ५० ग्राम,बारीक़ पीसकर चीनी के बर्तन में रखकर,निम्बू का रस से सब चूर्ण तर करें,और धुप में सुखाकर सुरक्षित कर लें|भोजन के बाद एक चम्मच सेवन करें|इस से बद हज्मी आदि बद हो जाती है|
नासूर:
- लौंग और १० ग्राम हल्दी को पीसकर लगाने से नासूर ठीक हो जाता है|



लौंग के सेवन से भूख बढती है|आमाशय की रस क्रिया को बल मिलता है|
जिन सूक्ष्म जंतुओं के कारण पेट फूलता है उन्हें लौंग नष्ट कर देता है
यह चेतना शक्ति को जागृत करती है|
यह शरीर की दुर्घंध को नष्ट करती है|
यह मूत्रमार्ग को स्वछज कर शरीर के विजातीय द्रव्यों को बहर निकाल देती है|





गाल ब्लेडर की पथरी का उपचार...




गाल ब्लेडर में एक छोटे पाउच जैसा अवयव है|जो यकृत के ठीक नीचे स्थित होता है|इस से आयुर्वेद में पित्ताशय कहा जाता है|गाल ब्लेडर में बन ने वाली पथरियों को गाल स्टोन या पित्ताशय की संघ्या दी जाती है|प्राय: गाल-ब्लेडर की पथरियां कोलेस्ट्रोल के किस्त्लों से निर्मित हुई होती हैं|कुछ पथरियां पित्त-लवणों से बनी होती हैं|वस्तुत:पित्त-लवण यकृत में निर्मित होने वाले पाचक तत्व हैं जो गाल ब्लेडर में स्टोर होता हैं|यह पथरियां आलपिन के सिर जितनी छोटी आकार वाली हो सकती हैं|कुछ पथरियां अखरोट की साइज तक भी हो सकती हैं|यघपि अभी तक यह सुस्पष्ट नही है की इनका निर्माण क्यूँ होता है लेकिन यह कहा जा सकता है की पित्त-का निर्माण वाले घटकों के असंतुलन से पैदा होती है|पित्त जूसों में कोलेस्ट्रोल की अत्यधिक बड़ी हुई मात्रा भी गाल ब्लेडर स्टोन का महत्वपूर्ण कारण है|

इस अवस्था में पैदा होने वाले प्रमुख लक्ष्ण इस प्रकार हैं|
.तेज पेट में दर्द
.उलटी करने का मन
.उलटी होना
.पसीना आना
.पीलिया

आयुर्वेदिक अचूक उपचार:

प्रमुख ओषधियाँ जिनका रोगी के लक्षणों या प्रकृति,वय,देश,काल,ऋतू के अनुरूप सेवन करना चाहिए|
आरोग्य-वर्धनी वटी,प्रवाल-पंचामृत रस,गिलोय सत,हल्दी चूर्ण,कुटकी का चूर्ण ,ताम्र-भस्म,निम्बू का रस,एलोवीरा का जूस,काला नमक,सेंध नमक,सांभर नमक,समुन्द्र नमक ,नोसाद्र लेना चाहिए|तेज दर्द की स्थिति में वृक्क शूलान्त्क वटी शूल वजिर्नी वटी देने से लाभ मिलता है|



निषेध :

कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण रखें|पित्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाना भी गाल स्टोन का प्रमुख कारण है|पित्त में स्थित तत्वों में जब कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा हो जाती है|तब कोलेस्ट्रोल गाल ब्लेडर में नीचे की और जमने लगता है|जो शलेश्म कणों के चारोंऔर एक परत के रूप में बैठ जाता है,इसके ऊपर केल्शियम बिलिरुबिनेट (जो कल्शियम और बिलीरूबिन के मिलने से बनता है)की परत बैठ जाती है|इस तरह वारी-वारी से दोनों तरह की परतों में जम जाने से गाल ब्लेडर स्टोन बन जातें हैं|

कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण रखने हेतु सेवनिय असेव्नीय आहार-उच्च स्टार्च अवम फाइबर-युक्त खाद पदार्थ ,वसा का सेवन कम करें|

माखन-दूध सेवनिय मिठाइयाँ अवम दूध से बनी खाद पदार्थ-वनस्पति घी,पॉम आयल,तले हुए पदार्थ,सफेद चिन्नी,पोलिश किया हुआ चावल मना है |

विविध शोध कार्यों मैं यह पाया जाता है की हल्दी का कम से कम एक ग्राम की मात्रा में दैनिक सेवन करते रहने से
ट्राय गिल्स्राईद अवम टोटल कोलेस्ट्रोल के स्तरों में गिरावट आती है|आयुर्वेदिक ओषधि गुग्गुल से बने हुए केप्सूल भी बेहद लाभप्रद हैं|दो केप्सूल अथवा एक केप्सूल सवेरे-सायं सेवनीय हैं|अनुपान में गर्म-पानीसे सेवनीय है|ध्यान दें की केप्सूल निगलने के आधा घंटा पहले और आधा घंटे बाद कुछ भी नही खाएं|.

ईसाबगोल के नियमित सेवन से भी कोलेस्ट्रोल नियंत्रित रहता है|पांच से दस ग्राम में इसकी भूसी का सेवन करें|तत्पश्चात पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ |

लहसुन का सेवन किसी भी रूप में करने से रक्त्ग्त-कोलेस्ट्रोल स्तर गिरता है|आंवला कोलेस्ट्रोल के बाद हुए स्तरों को प्रभावशाली ढंग से नियंत्रित कर देता है|आंवले में दो ख़ास बातें पाई जाती हैं,पहली यह विटामिन सी का उत्तम स्त्रोत है|दूसरी इसने प्रचुर मात्रा में पेक्टिन रेशे पाए जातें हैं|

अनार का रस,दाना मेथी,अंगूर,प्याज,किशमिश,त्रिफला,छाछ,भूने हुए चने भी कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के लिए राम बाण हैं|

२५० गरम धनिया २५० ग्राम जीरा(सफेद)लेकर बारीक कपड़े में छान लें इसके बाद चूर्ण तेयार कर लें|तीन से छे ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सवेरे खाली पेट पानी के साथ सेवन करें इस प्रकार शाम को भी सेवन करेंइसके सेवन के आधे घंटे आगे, पीछे कुछ नही सेवन करें|

डाइटिंग करने से बचें|यदि आप तेजी से वजन घटाते हैं तो भी गाल स्टोन होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं|धुम्रपान करने से बचें|