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ग्रीष्म ऋतु में कैसे स्वास्थ्य रहें


मौसम के रूप में यह ऐसा समय है जिसे लोग ज्यादा पसंद नहीं करते, वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन के कारण आजकल अधिकांश समय (कुछ महीनों को छोड़कर) वातावरण में गर्माहट बनी रहती है, लेकिन ग्रीष्म ऋतु का समय अन्य ऋतुओं की अपेक्षा सबसे अधिक गर्म व शरीर के लिए कष्टभरा रहता है।  

इस गर्मी के मौसम में सूर्य अपनी तेज़ किरणों से वातावरण व मानव शरीर में मौजूद स्नेह तत्वों का अधिक मात्रा में ग्रहण (आदान) करने लगता है, इस काल को आयुर्वेद में आदान काल भी कहा जाता है। जिससे शरीर में कफ का क्षय व वात की वृद्धि होने लगती है।

आइये जानतें है कैसे कुछ सामान्य सी चीज़ों को अपनाकर इस गर्मी से बच सकते हैं: 

इस ऋतु में सुबह नहाने से पहले हल्के हाथों से शरीर पर नारियल का तेल अवश्य लगायें,  अधिक व्यायाम / आसान न करें इससे शरीर में रूखापन और बढ़ता है। 

खाने में नमक (लवण), कड़वा (कटु) और खट्टा (अम्ल) रस से युक्त पदार्थों का बहुत ही कम मात्रा में या बिल्कुल सेवन न करें। 

गर्मी के मौसम में मीठे (मधुर), आसानी से पचने वाले (लघु),  वसा युक्त (स्निग्ध), ठन्डे (शीतल) एवं तरल (द्रव) पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जिन व्यक्तियों को डायबिटीज हो या अन्य मेटाबोलिक सम्बन्धी विकार हों ऐसे लोगों को मीठे व वसा युक्त पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

इस मौसम में ठन्डे जल से स्नान करना चाहिए, शक्कर मिला जौ का सत्तू लेना चाहिए। इस मौसम में किसी भी रूप में मद्य (शराब) का सेवन न करें क्योंकि इस मौसम में ऐसा करने पर कृशता (कमजोरी), शरीर में गर्मी व मन में भ्रम उत्पन्न होता है।

पुराने चावल, नारियल पानी, अनार, आमला, आम का पना (पानक), खश (उशीर)-गुलाब का शर्बत, अधिक मात्रा में तरल पदार्थ, मौसमी फल जैसे अंगूर, आम, फालसा आदि का रस, गुलकंद, दूध, घी, मठ्ठा आदि का सेवन करें।

चाय-कॉफ़ी-कार्बोनेटेड पेय, तला-भुना-मिर्च-मसालेदार भोजन बिल्कुल न करें।

हल्के सूती (कॉटन से बने) कपड़ों को पहने, इस मौसम में समय होने पर दिन के समय में थोड़ी देर सो सकते हैं। सूर्य की सीधी किरणों से बचें, ऐसी स्थिति में बाहर निकलना आवश्यक हो तो शरीर को अच्छे से ढ़ककर व सूर्य की सीधी किरणों से बचने के लिए छाते का प्रयोग करें। कपूर-चन्दन जैसे ठन्डे द्रव्यों को मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर नहाने के समय शरीर पर लेप कर सकते हैं, इससे शरीर में बेहतर तरावट महसूस होती!