आमतौर पर देखा गया है कि दुबले पतले लोग गोल-मटोल लोगों से अधिक शक्तिशाली होते हैं,परन्तु यह बात हमेशा खरी नहीं उतरती |हाँ,ऐसे लोगों में चुस्ती-फुर्ती अधिक होती है |यह फुरतीलापन ही वह चीज़ है,जिसके कारण बहुत से लोग अपना वजन इकहरा बनाए रखना चाहते हैं |
दो प्रकार के लोगों पर दुबलापन देखने में आता है-पारिवारिक प्रभाव से अर्थात जन्म से शरीर कि बनावट पतली होने वाले लोग भी दुबले होते हैं |दूसरे प्रकार के लोग किसी भी पुराने रोग से पीड़ित होने अथवा पाचन क्रिया कि गडबडी वाले लोग दुबले होते हैं |
चयापचय ठीक न होने के कारण खाध पदार्थ का पूरा आक्सीजन न होने से व्यक्ति कमजोरी थकान और भूख न लगने से ग्रस्त हो जाता है |भोजन के प्रति अरुचि व्यक्ति को बेहतर दुबला पतला कर देती है |
आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत मोटे तथा अत्यंत दुबले शरीर वाले व्यक्तियों को निंदित व्यक्तियों की श्रेणी में माना गया है। वस्तुतः कृशता या दुबलापन एक रोग न होकर मिथ्या आहार-विहार एवं असंयम का परिणाम मात्र है।
दुबलापन रोग होने का सबसे प्रमुख कारण मनुष्य के शरीर में स्थित कुछ कीटाणुओं की रासायनिक क्रिया का प्रभाव होना है जिसकी गति थायरायइड ग्रंथि पर निर्भर करती हैं। यह गले के पास शरीर की गर्मी बढ़ाती है तथा अस्थियों की वृद्धि करने में मदद करती है। यह ग्रंथि जिस मनुष्य में जितनी ही अधिक कमजोर और छोटी होगी, वह मनुष्य उतना ही कमजोर और पतला होता है। ठीक इसके विपरीत जिस मनुष्य में यह ग्रंथि स्वस्थ और मोटी होगी-वह मनुष्य उतना ही सबल और मोटा होगा।
दुबलापन क्यूँ:
- पुराना कब्ज एवं आँतों में मल जमा रहना |
- दुर्बल पाचनक्रिया-जब पाचन क्रिया के अंग दैनिक आहार से पौष्टिक तत्व शरीर को नहीं दे सकते,तब दुर्बलता रहती है |
- मानसिक दर्द तथा चिंताएं |
- किसी भी पुराने रोग से पीड़ित रहने के कारण |
- गल-ग्रंथि कि दुर्बलता |
- दिनभर के परिश्रम से शरीर में होने वाली क्षति कि पूर्ति के लिए आवश्यक आराम एवं पौष्टिक आहार नहीं लेना |
प्राकृतिक चिकित्सा :
यदि किसी रोग के कारण दुबलापन हो,तों पहले उस रोग कि चिकित्सा करा कर रोगमुक्त होने के पश्चात वजन बदाने के लिए निम्न नियमों होने के पश्चात वजन बदाने के लिए निम्न नियमों के पालन द्वारा अपना वजन बढाना चाहिए
- प्रात:काल खाली पेट गर्म ठंडा सेक करने के लिए गर्म पानी से भरी रबड़ कि बोतल एक मिनट पेट पर रखने के पश्चात ठन्डे पानी से भिगोया छोटा तौलिया दो मिनट के लिए रखना चाहिए|इस प्रकार गर्म ठंडा सेक पांच बार एक साथ करना चाहिए |ऐसा करने से पेट कि मांस पेशियाँ अपनी सोयी हुई शक्ति पुन:प्राप्त करेंगी |उनके कोष सक्रिए होंगे और पुराना मल निकालने में सहयोग करेंगे |
- आँतों में पुराना मल साफ़ करने के लिए नित्यप्रति एक बार ५०० ग्राम ताज़ा पानी का एक माह तक एनिमा करना चाहिए |
- पेट साफ़ रखने के पश्चात प्राणायाम,हल्का व्यायाम,सर्वांगासन,योगासन,उत्तानपाद आसन,धनुरासन,शवासन वजन बढाने में विशेष लाभकारी हैं |
- व्यायाम करने के पश्चात प्रतिदिन मालिश करने से त्वचा खुलती है और वजन बढ़ जाता है |इस से शरीर गठीला बनता है |
- मालिश करने के पश्चात २० से ३० मिनट तक धूम्रपान करके अह्रीर को तौलिए से रगढ-पोंछ कर स्नान करना चाहिए |
- एक सप्ताह से दो सप्ताह तक केवल फलाहार पर रहना चाहिए |ताज़ा फल एवं सब्जियों के खाने से पेट साफ़ होने में सहायता मिलती है |
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