आयुर्वेद का सिद्धान्त ही रोगी व्यक्ति के रोग को दूर करना एवं स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को समुचित रूप से बनाये रखना है । इसलिए आयुर्वेद को व्यावहारिक रूप देने हेतु उसको कई भागों या अंगों में विभाजित किया गया, जिससे संपूर्ण शरीर का यथावत् अध्ययन एवं परीक्षण कर समुचित रोगों की चिकित्सा की जा सके तथा हर दृष्टिकोण से सवर्सुलभ हो सके । कालान्तर में आयुर्वेद को जनोपयोगी बनाने हेतु ही उसके आठ अंग किये गये, जो इसप्रकार हैं-
आयुर्वेद के अंग -
१-काय चिकित्सा
२-शालाक्य तंत्र
३-शल्य तंत्र
४-अगद तंत्र
५-भूत विद्या
६-कौमारभृत्य
७-रसायन
८-बाजीकरण
यहाँ हम बात कर रहें हैं "अगद तंत्र" या विष विज्ञानं की.. आर्य चाणक्य के काल में किसी शक्तिशाली राजा से जब युद्ध में जीतना संभव नहीं होता था तब शत्रु उस राजा को मारने के लिए विष का प्रयोग करता था और किसी प्रकार राजा के शरीर में विष का प्रवेश करा देता था और तब राजवैध लोग उस राजा को मरने से बचाने के लिए "अगद" का प्रयोग करते थे और यह अगद शरीर में से हर तरह के विष को नष्ट कर देता था. अगद एक आर्युवेदिक औषधि का प्रकार है जिसका प्रयोग सिर्फ राजा के महलों में ही किया जाता था, क्योकि इसमें प्रयुक्त जड़ी बूटियाँ बहुत ही दुर्लभ किस्म की होती है. अगद को हम जहर का तोड़ भी कह सकतें हैं, विश्व में जितने भी तरह के विष है उन सबके तोड़ भी उसी प्रकार हैं - हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों ने हजारों वर्षों के शोध के बाद लगभग हर विष का अगद खोज निकाला है, पर आमजन को आज भी इनके बारे में उतनी जानकारी नहीं हैं.
तब और अब के समय में अंतर सिर्फ इतना है कि तब राजा के शत्रु राजा को विष दिया करते थे और आज हमारे द्वारा लिए जा रहे अन्न, जल, और वायु कई तरह के प्रदुषण के कारण हमारे शरीर में असंख्य विषमय पदार्थ रोज प्रवेश कर रहें हैं फलत: हमारे शरीर में कई तरह के रोग व्याप्त हो रहें हैं जैसे:
हिपाटाईटीस, लीवर के रोग, त्वचा के रोग, टीबी, कैंसर, एड्स, कीमोथेरपी के बाद के कष्ट, किडनी की बीमारियाँ, शराब पीने से हो जाने वाले रोग इत्यादि.
लेकिन अब अगद तंत्र का समुचित अध्यन करके उसी अगद का एक कैप्सूल के रूप में निर्माण किया जा चुका है और अगद को सर्वजन के लिए सुलभ किया गया है. और इस कैप्सूल का नाम है - डीटोक्स
इस कैप्सूल में भी हमारे तैतीस करोड देवी देवताओं की भाँति तैतीस प्रकार की जड़ी बूटियों से बनाया गया है जैसा कि अगद तंत्र में बताया गया है, एक एक जड़ी बूटी को हिमालय की गोद से एकत्र किया गया है, एक से एक दुर्लभ जड़ी को खोज निकाला गया है -
Each Capsule Contains :
Haridra, Guduchi, Rasna, Yastimadhu, Shirish, Anantmul, Nirgundi, Bhumyamalaki, Bhrungaraj, Kamal(20 mg each), Kumari, Nimbapatra, Kushtha, Arjun, Babbul, Priyangu, Jatamansi, Daruhalad, Kalavala, Ashok(10 mg each), Manjistha, Shaliparni, Shankhapushpi, Trivrutta, Vidanga, Punarnava, Tulasi, Sabja, Lodhra, Aashvagandha(5 mg each), Draksha, Dadim, Spirulina(30 mg each)
अगर आप स्वस्थ हैं पर फिर भी अपने शरीर में एकत्र विष को नष्ट करके भविष्य में इस प्रकार की बीमारियों से बचाव चाहतें हैं तों इस लगभग एक माह तक हर रात दो कैप्सूल एक ग्लास पानी के साथ लें. अगर आपको इस प्रकार कि कोई बीमारी हो चुकी है तों एक से दो कैप्सूल तीन बार एक ग्लास पानी के साथ लें. अगर HIV या कैंसर जैसी कोई बीमारी हो तों चार कैप्सूल चार बार एक ग्लास पानी के साथ लें. 11-16 साल तक एक बच्चे रोज रात एक कैप्सूल ले सकतें हैं.
गर्भवती स्त्रियाँ और दस वर्ष से कम बच्चे इस कैप्सूल को न् लें
हालांकि इस कैप्सूल का अब तक कोई साइड एफ्केट नहीं देखा गया है कोई रिएक्शन आदि भी नहीं है.
अगर आप इस कैप्सूल को लेना चाहतें हैं या इस कैप्सूल के बारे में और ज्यादा जानकारी चाहतें हैं तों संपर्क करें :
+ 91 9318010311 / kphs@in.com
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