पुदीने की है महिमा न्यारी...



गर्मियों के आरम्भ होने के साथ ही बाजारों में अपनी हरित आभा एवं खुशबू से जनमानस को आहार्दित करता प्रतीत होता है-पुदीना |

पुदीना मिश्रित जलजीरा,गन्ने का रस इत्यादि के रसास्वादन के लिए भला कौन लालायित न होगा |यह पौधा बहुवर्शायु होता है |पुदीने का नाम'मेंथास्पाईकेटा'है |चुइंगम,टूथपेस्ट,मिष्ठान व बहुत सी द्च्वाइयों में सुगंध के लिए पुदीने का उपयोग किया जाता है |

पुदीने का सबसे बड़ा उपयोग यह है की इसमें से निकलने वाला उड़न शील तेल पेट की शिकायतों में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों,सिरदर्द,गठिया इत्यादि की मल्हमों खांसी की गोलियों,इनहेलरों,मुख्शोध्कों में खुशबू पैदा करने के काम में लाया जाता है |

हकीमों का कहना है की पुदीना सूजन को नष्ट करता है |तथा आमाशय को शक्ति देता है |यह पसीना लाता है तथा हिचकी बंद कर देता है |पीलिया में भी इसका सेवन लाभप्रद होता है |

जहरीले ज्न्तुयों के काटने पर दश स्थान पर पुदीने का रस लगा देने से विष का शमन होने लगता है |पुदीने की खुशबू से बेहोशी दूर होती है |पुदीने का रस कान में डाल देने से कान के कीड़े मर जाते है |अंजीर के साथ पुदीना खाने से सीने व फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है |पेट की खराबी से उत्पन्न होने वाली बैचेनी व मिचली होने पर पुदीने का रस पिलाने से शीघ्र लाभ होता है |पुदीने के पत्तों को पीसकर पुलटिस बनाकर जख्म पर बाँधने से जख्म के कीड़े मर जाते है |चूहे के काटे हुए स्थान पर पुदीने की पुलटिस बाँध देने से विष शमन हो जाता है |

आयुर्वेद के अनुसार के पुदीने की तासीर गर्म होती है |यह रुक्ष,भारी,स्वादिष्ट,रुचिकारक,ह्रदय को बल देने वाला,मलेव्म मूत्र की अतिप्र्वृति पर नियंत्रण करने वाला होता है |कफ,खांसी,मन्दाग्नि,कोलेराअतिसार,जीर्ण-ज्वर इत्यादि विकारों पर भी यह अच्छा असर दिखता है |अजीर्ण,मन्दाग्नि,अफरा,उदरशूल इत्यादि विकारों ने पुदीने कि ताज़ा चटनी या इसका स्वरस पिलाने से आशातीत लाभ मिलता है |प्रसूति ज्वर में पुदीने के रस गिलास स्वरस को पिलाना श्रेयस्कर होता है |बुखार एवं उसके कारण होने वाली शारीरिक गर्मी को शांत करने के लिए चटनी का सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है |

पुदीना श्रेष्ठवातुनाश्क द्रव्य है |इसके सेवन से भूख खुलकर लगने लगती है |सतत एवं कुछ दिनों तक इसके नियमित सेवन से'मासिक धर्म'में नियमितता आती है |चूँकि इसमें वायु-नाश करने वाला तत्व उपस्थित होता है,इसलिय वृद्धजनों के लिए यह एक श्रेष्ठ एवं नित्य-सेवनिय वनोषधि है |

मुख दुर्गन्ध-यदि मुंह से दुर्गन्ध आती है तों पुदीना पीसकर जल में घोल लीजिए |इस पुदीना मिश्रित पानी से दिन में दो-तीन बार कुल्ले करते रहने से मुख सुवासित हो उठता है |

हैजा-हैजा होने पर रोगी को अजवायन का सत्व एवं पुदीने का अर्क देते रहने से रोगी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता है |

अनियमित रक्तचाप-पुदीना निम्न एवं उच्च रक्तचाप का नियमन करता है |इसके लिए पुदीने कि चटनी एवं रस का उपयोग किया जा सकता है |उच्च रक्तचाप से पीडितों को बिना चीनी एवं नामक डाले ही पुदीने का सेवन करना चाहिए |

निम्न रक्तचाप के रोगी पुदीने कि चटनी या रस में सेंध नमक,कालीमिर्च,किशमिश डालकर सेवन कर सकते है |प्यास-ज्वर पीड़ित को यदि बार-बार प्यास लग रही हो तों पुदीने का रस तात्कालिक रूप से रोगी को पिलायें |

लू लगने पर-ग्रीष्मकाल में पुदीने कि चटनी तथा प्याज के नियमित सेवन करने से 'लू'लगने कि आशंका नहीं रहती |

नकसीर आने पर-प्याज एवं पुदीने का रस मिलकर नाक में दाल देने से लाभ मिलता है |पुदीने के साथ अनार के फूलों का स्वरस भी मिलाया जा सकता है |

शवसन तंत्र के रोगों पर-खांसी,दमा एवं हिचकी इत्यादि विकारों पर पुदीना अपने 'कफ-निस्सारक'गुणों के कारण काफी असरकारक सिद्ध होता है |पुदीने का अर्क इन रोगों पर विशेष प्रभावी है |

पाचन संसथान के विकारों पर-पुदीना पेट कि थेरोन बिमारियोंका शमन करने में समर्थ होता है |इसके लिए पुदीने का किसी न किसी रूप में प्रतिदिन सेवन अवश्य करना चाहिए |







No comments:

Post a Comment