स्वास्थ्य का रक्षक-सेब



फल हमारे जीवन के अभिन्न अंग है |हमारे यहाँ तो फलों का इतना महत्व था की व्रत आदि में फलाहार का विधान दिया गया |आज भी अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं की हम फलों का आधिकारिक सेवन करें |मुलत:सेब ठन्डे प्रदेशों का फल है,फिर भी पूरे देश में खाने के लिए उपलब्ध है |वैसे सेब वात-पित नाशक पाचक,मस्तिष्कों के लिए बलकारक माना गया है |यह पेट के रोगों तथा कमजोरी को नष्ट करने में अद्रितीय है |अमाशय की अम्लीयता,गुर्दे की सफाई तथा कब्ज को भी समूल नष्ट करता है |कब्ज के रोगियों को प्रात:  सेब खाकर दूध पीना चाहिए |खून की खराबी,दमा,गठिया,पथरी आदि में सेब का रस सेवन करना चाहिए |कुछ रोगों  पर सेब के निम्न प्रयोग अत्यंत लाभप्रद है-

  • दिल बैठता हो,लो-ब्लड प्रेशर हो,दिल बहुत धडकता हो तो प्रात:बासी मुंह सेब का एक मुरब्बा चांदी के वर्क के साथ सेवन करें |
  • जिनको प्यास बहुत लगती हो ,उनको १५ से २०,सेब के रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में दो -तीन बार पीना चाहिए |
  • पेट में कीड़े हों और आंव जैसी बनती हो,तो रात में सोते  समय दो सेब खाकर सोये |
  • जिनके बहुधा सिरदर्द होता रहता है,उनको प्रात:बासी मुंह एक सेब  सेंधा नमक के साथ करीब २० या २५ दिन सेवन करना चाहिए |
  • दिमागी कमजोरी,गुर्दे की खराबी,स्मरण शक्ति की कमी में भोजन से पहले एक मीठा सेब खाना चाहिए |
  • आँखों की बीमारियों जैसे आँखे दुखना,रौशनी की कमी आदि में सेब भुनकर उनकी पुलटिस आँखों पर बांधना लाभप्रद है |

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