दादी माँ के नुस्खे...

बच्चों के लिए शहद लाभकारी है|इसके नियमित सेवन से बच्चों को अच्छी नींद के साथ ही कफ की समस्या से भी राहत मिलती है|
जिन बच्चों को सोने से पहले नियमित रूप से रोजाना एक चमच्च शहद चटाया गया,वह रात में बेहतर तरीके से अपनी नींद पूरी कर सकें|इतना ही नही बच्चों में आमतोर पर होने वाली बीमारी भी जाती रही|

नेत्र विकार ::
आँख आई हो,या अधिक जागने अथवा बारीक काम करने से आँखों को थकान आ गयी हो तो ककड़ी की पीसकर शरीर पर लगाने से राहत मिलती है|

मुहांसे::
ककड़ी की पीसकर उसका लेप चेहरे पर लगायें तथा आधा घंटा बाद उसे धो डालें |पन्द्रह दिनों तक ऐसा करने से मुहांसे मिटते हैं|तथा चेहरे का सोंद्र्ये बदता है|

काले घने बालों के लिए::
ककड़ी में केशवर्दध्क तत्व होते हैं|इससे रस को बालों में अच्छी तरह लगाकर थोड़ी देर बाद धोने से बालों की जड़े मजबूत होती एवं बाल घने होते हैं|

खांसी के लिए::
मुलहठी,कत्था और गोंद बबूल प्रतेक १० ग्राम लेकर कूट-पीसकर कपड़े से छान लें|अदरक के रस में २-३ घंटे घोटकर चने के बराबर गोलियां बना लें और १-१ गोली चूसते रहें|

काली खांसी के लिए::
फिटकरी भुनकर बारीक करें|वजन खुराक एक रत्ती में थोड़ी सी चीनी मिलकर दिन में दो बार खाएं|५ दिन में खांसी ठीक हो जाती है|कोरेक्स जो की मेडिकल स्टोरों से मिलता है खांसी के लिए बहुत अच्छी दवा है इसको इस्तेमाल करने से बहुत लाभ होता है|

पेट दर्द व जिगर के लिए::
एक चुटकी सोंफ,एक चुटकी अजवायन थोड़े पानी में पीसकर रस निकालें|इस रस को पीने से हर प्रकार का पेट दर्द ठीक होता है|एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच नमक मिलाकर गर्म -गर्म पियें|दर्द ठीक हो जायेगा|

मोटापा/शारीरिक सौंदर्य::
मोटापा कम करने के लिए अच्छे पके,ताजा दो लाल टमाटर सुबह-सुबह सेवन किया करें,यदि टमाटर के सूप या रस में पीसी कालीमिर्च तथा सेंधा नमक मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें तो इससे शारीरिक सौंदर्य बडाने के साथ-साथ शरीर में स्फूर्ति का संचार भी होगा|

सर दर्द के लिए::
निम्बू की पत्तियों को कूटकर उनका रस निकाल लें और नाक में नस्य लें जिन्हें हमेशा सर दर्द रहता है उनके लिए यह अचूक ओषधि है या एक सेरिडोन पानी से खाएं दर्द ठीक हो जायेगा|

मसूड़े की देखभाल कैसे करें ?

मसूड़ों से खून निकलना एक सामान्य बीमारी है जिस से ज्यादातर लोग प्रभावित होते हैं|मसूड़ों में इन्फेक्शन होना,जब यह बिमारी मसूड़ों के साथ-साथ उसके आस पास की हड्डी तक पहुंचती है तो इसे पायरिया कहते हैं|




लक्षण :

इसका मुख्य लक्षण मसूड़ों से खून निकलना है|शुरू में ब्रश करते खून निकलता है|जब यह बीमारी बढ़ जाती है तो सारा दिन खून निकलता है|
  • मुख से दुर्गन्ध आने लगती है|
  • कभी-कभी खून के साथ साथ मसूड़ों में मवाद भी निकलने लगता है|
  • धीरे-धीर दांत हिलने लगते हैं और जल्दी ही गिरने लगतें हैं|
  • इसमें नीचे के जबड़े के आगे वाले दांत सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं|
कारण:

  • मसूड़ों से खून निकलने का एवं पायरिया बीमारी का मुख्य कारण दांतों एवं मसूड़ों के बीच खाने का फसना और और उसका सडना है|इन भोजन के फसे हुए टुकड़ों को मूह में उपस्थित बेक्टीरिया उसे सडातें है|जिससे TOXINS बनते हैं|और यह टोक्सिंस दांतों और मसूड़ों को खराब करते हैं|
  • इस बीमारी का अन्य कारण दांतों का सही तरीके से साफ़ नही होना भी है|दांत ठीक से साफ़ नही होने के कारण भोजन के कण फस कर सड़ते है तथा बीमारी को जनम देते हैं|
  • कभी-कभी ठीक तरीके से ब्रश न करने के कारण,ब्रश मसूड़ों में घाव बना लेते हैं जिस से खून निकलता है|
  • जो लोग धुम्रपान करते हैं उन्हें इस बीमारी के होने के ज्यादा सम्भावना होती है|
  • जिन लोगों का immune system कमजोर होता है या जिन्हें हिमोफिलिया या एड्स जैसे बीमारी होती है,उनको मसूड़ों की बीमारी होने की ज्यादा सम्भावना होती है|
  • कुछ fungal and bacteria infections में भी मसूड़े लाल रंग के हो जाते हैं|उनसे खून निकलने लगता है
बचाव:
  • मसूड़ों से खून न निकलने के लिए दांतों और मसूड़ों का साफ़ होना अति आवश्यक है|
  • इसके लिए प्रतिदिन सुभ और रात्रि में सोने से पहले अच्छी तरह ब्रश करना अति आवश्यक है|
  • रात्री में सोने से पहले ब्रश करने के बाद गर्म पानी,नमक,थोड़ी सी फिटकरी मिलाकर अच्छी तरह से कुल्ला करना चाहिए|
  • कुछ भी खाने के बाद अच्छी तरह कुल्ला करना अति आवश्यक है|
घरेलू उपचार:
  • परवल,नीम,जामुन,आम और चमेली ले पत्तों का काढ़ा बनाकर मूंह में रखने से लाभ मिलता है|
  • दारु हल्दी को पानी में पकाएं जब यह पकते-पकते गाढ़ी हो जाये तब इसमें शहद मिलाकर मूंह में रखने से फायदा होता है|
  • जामुन की लकड़ी की राख को मलने से दांतों से खून निकलना बंद होता है|
  • बेल के ५ तोला शरबत में ५ तोला दूध मिलाकर पीने से मसूड़ों के रोगों में आराम मिलता है|
  • कपूर १० ग्राम भुना तूतिया १० ग्राम कलि मिर्च २० ग्राम माज्फूल,पिप्पली और फिटकरी २०-२० ग्राम नमक तथा सोना गेरू तम्बाकू आदि ४०-४० ग्राम लें,सभी को बारीक़ चूर्ण करके मिला लें इस मंजन के प्रयोग से मसूड़ों एवं दांतों की बिमारियों से आराम मिलता है|शहद या सरसों के तेल के कुल्ले करने से भी लाभ मिलता है|

लौंग के लाभ...


लौंग नेत्रों को हितकारी,कफ,पित्त रक्त रोग,प्यास,वमन ,अफारा ,श्वास हिचकी का नाश करता है|
नेत्ररोग:
लौंग को ताम्बे के बर्तन में पीसकर,उत्तम शहद मिलाकर अंजन करने से नेत्र के सफेद भाग के रोग मिटते हैं|
नजले का मस्त्क्शूल:
दो लौंग और / ग्राम अफीम को पानी के साथ पीसकर गर्मकर ललाट पर लेप करें|नजले से उत्पन शिरोवेदना शांत होती है|
कफ निष्कासन के लिए:
लौंग के दो ग्राम जोकूत किये गये चूर्ण को १२५ ग्राम पानी में ओटावें |/ भाग रहने पर छानकर थोडा
गर्म कर पी लें|
श्वास की दुर्घंध :
लौंग को मूह में रखने से मूह और श्वास की दुर्घंध मिटती है|
दमा:
लौंग,आंकड़े के फूल और काला नमक सम्भाग लेकर चने के आकार की गोली बना ,चूसने से दमा और श्वास नलिका के रोग मिटते हैं|
जलन :
दो चार नग लौंग को शीतल जल में पीस कर मिश्री मिलाकर पीने से ह्रदय की जलन मिटती है|
हैजे की प्यास :
एक या ./ ग्राम लौंग को करीब डेढ़ किलो जल में उबालें |दो तीन उबाल आने पर उतार कर ढक देवें,इसमें से २०-२५ ग्राम जल बार बार पिलाने से हैजे से उत्पन प्यास मिटती है|
अफारे:
लौंग,सोंठ,अजवाइन,सेंधा नमक १०-१० ग्राम,गुड ४० ग्राम पीसकर ३२५-३२५ मिलीग्राम की गोलियां बनाकर - गोली दिन में - बार सेवन करने से अफारा दूर होता है|
उदर रोग:
बदहजमी खट्टी डकारें आदि में शुंठी,मिर्च,पीपल,अजवाइन १०-१० ग्राम सेंधा नमक ५० ग्राम,मिश्री ५० ग्राम,बारीक़ पीसकर चीनी के बर्तन में रखकर,निम्बू का रस से सब चूर्ण तर करें,और धुप में सुखाकर सुरक्षित कर लें|भोजन के बाद एक चम्मच सेवन करें|इस से बद हज्मी आदि बद हो जाती है|
नासूर:
- लौंग और १० ग्राम हल्दी को पीसकर लगाने से नासूर ठीक हो जाता है|



लौंग के सेवन से भूख बढती है|आमाशय की रस क्रिया को बल मिलता है|
जिन सूक्ष्म जंतुओं के कारण पेट फूलता है उन्हें लौंग नष्ट कर देता है
यह चेतना शक्ति को जागृत करती है|
यह शरीर की दुर्घंध को नष्ट करती है|
यह मूत्रमार्ग को स्वछज कर शरीर के विजातीय द्रव्यों को बहर निकाल देती है|





गाल ब्लेडर की पथरी का उपचार...




गाल ब्लेडर में एक छोटे पाउच जैसा अवयव है|जो यकृत के ठीक नीचे स्थित होता है|इस से आयुर्वेद में पित्ताशय कहा जाता है|गाल ब्लेडर में बन ने वाली पथरियों को गाल स्टोन या पित्ताशय की संघ्या दी जाती है|प्राय: गाल-ब्लेडर की पथरियां कोलेस्ट्रोल के किस्त्लों से निर्मित हुई होती हैं|कुछ पथरियां पित्त-लवणों से बनी होती हैं|वस्तुत:पित्त-लवण यकृत में निर्मित होने वाले पाचक तत्व हैं जो गाल ब्लेडर में स्टोर होता हैं|यह पथरियां आलपिन के सिर जितनी छोटी आकार वाली हो सकती हैं|कुछ पथरियां अखरोट की साइज तक भी हो सकती हैं|यघपि अभी तक यह सुस्पष्ट नही है की इनका निर्माण क्यूँ होता है लेकिन यह कहा जा सकता है की पित्त-का निर्माण वाले घटकों के असंतुलन से पैदा होती है|पित्त जूसों में कोलेस्ट्रोल की अत्यधिक बड़ी हुई मात्रा भी गाल ब्लेडर स्टोन का महत्वपूर्ण कारण है|

इस अवस्था में पैदा होने वाले प्रमुख लक्ष्ण इस प्रकार हैं|
.तेज पेट में दर्द
.उलटी करने का मन
.उलटी होना
.पसीना आना
.पीलिया

आयुर्वेदिक अचूक उपचार:

प्रमुख ओषधियाँ जिनका रोगी के लक्षणों या प्रकृति,वय,देश,काल,ऋतू के अनुरूप सेवन करना चाहिए|
आरोग्य-वर्धनी वटी,प्रवाल-पंचामृत रस,गिलोय सत,हल्दी चूर्ण,कुटकी का चूर्ण ,ताम्र-भस्म,निम्बू का रस,एलोवीरा का जूस,काला नमक,सेंध नमक,सांभर नमक,समुन्द्र नमक ,नोसाद्र लेना चाहिए|तेज दर्द की स्थिति में वृक्क शूलान्त्क वटी शूल वजिर्नी वटी देने से लाभ मिलता है|



निषेध :

कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण रखें|पित्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाना भी गाल स्टोन का प्रमुख कारण है|पित्त में स्थित तत्वों में जब कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा हो जाती है|तब कोलेस्ट्रोल गाल ब्लेडर में नीचे की और जमने लगता है|जो शलेश्म कणों के चारोंऔर एक परत के रूप में बैठ जाता है,इसके ऊपर केल्शियम बिलिरुबिनेट (जो कल्शियम और बिलीरूबिन के मिलने से बनता है)की परत बैठ जाती है|इस तरह वारी-वारी से दोनों तरह की परतों में जम जाने से गाल ब्लेडर स्टोन बन जातें हैं|

कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण रखने हेतु सेवनिय असेव्नीय आहार-उच्च स्टार्च अवम फाइबर-युक्त खाद पदार्थ ,वसा का सेवन कम करें|

माखन-दूध सेवनिय मिठाइयाँ अवम दूध से बनी खाद पदार्थ-वनस्पति घी,पॉम आयल,तले हुए पदार्थ,सफेद चिन्नी,पोलिश किया हुआ चावल मना है |

विविध शोध कार्यों मैं यह पाया जाता है की हल्दी का कम से कम एक ग्राम की मात्रा में दैनिक सेवन करते रहने से
ट्राय गिल्स्राईद अवम टोटल कोलेस्ट्रोल के स्तरों में गिरावट आती है|आयुर्वेदिक ओषधि गुग्गुल से बने हुए केप्सूल भी बेहद लाभप्रद हैं|दो केप्सूल अथवा एक केप्सूल सवेरे-सायं सेवनीय हैं|अनुपान में गर्म-पानीसे सेवनीय है|ध्यान दें की केप्सूल निगलने के आधा घंटा पहले और आधा घंटे बाद कुछ भी नही खाएं|.

ईसाबगोल के नियमित सेवन से भी कोलेस्ट्रोल नियंत्रित रहता है|पांच से दस ग्राम में इसकी भूसी का सेवन करें|तत्पश्चात पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ |

लहसुन का सेवन किसी भी रूप में करने से रक्त्ग्त-कोलेस्ट्रोल स्तर गिरता है|आंवला कोलेस्ट्रोल के बाद हुए स्तरों को प्रभावशाली ढंग से नियंत्रित कर देता है|आंवले में दो ख़ास बातें पाई जाती हैं,पहली यह विटामिन सी का उत्तम स्त्रोत है|दूसरी इसने प्रचुर मात्रा में पेक्टिन रेशे पाए जातें हैं|

अनार का रस,दाना मेथी,अंगूर,प्याज,किशमिश,त्रिफला,छाछ,भूने हुए चने भी कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के लिए राम बाण हैं|

२५० गरम धनिया २५० ग्राम जीरा(सफेद)लेकर बारीक कपड़े में छान लें इसके बाद चूर्ण तेयार कर लें|तीन से छे ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सवेरे खाली पेट पानी के साथ सेवन करें इस प्रकार शाम को भी सेवन करेंइसके सेवन के आधे घंटे आगे, पीछे कुछ नही सेवन करें|

डाइटिंग करने से बचें|यदि आप तेजी से वजन घटाते हैं तो भी गाल स्टोन होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं|धुम्रपान करने से बचें|

Benefit from Ayurveda in your Everyday Life

Ayurveda is best understood as a way of life. But that does not prevent you from applying its basic principles to your everyday life, in order to benefit from them.

For instance, did you know that when you have a cold, avoiding dairy products and sweets helps you to recover faster? Or that when you are nervous -or anxious- eating salads is NOT the best idea? You might know however that when you are irritable -or angry- spicy foods are not recommendable.

It all depends on the state of your doshas. Doshas, or humors, are the three basic constitutional types pursuant to Ayurveda: Vata, Pitta and Kapha (collectively called the tridosha). The Vata energy is composed by air and ether. The Pitta energy is made up of fire and water. The Kapha energy is composed by Earth and Water.

Each of us has an Ayurvedic constitution, where one of the doshas predominates over the others. Some people are bi-doshic, meaning that two of their doshas are equally strong. Generally speaking, Ayurvedic body types are as follows:

Vata people are usually thin-framed, nervous, imaginative, artistic, sensitive, and creative. Pitta people are usually medium-framed, rational, sharp-minded, competitive and goal oriented people. Kapha people are usually more heavily framed and tend to be calm, caring, patient and compassionate.

When the natural balance in your doshas is deranged, ailments appear. So the way to health is to restore their natural balance. But how do you know which of your doshas is deranged?

How to know which of your doshas needs balancing

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Ayurvedic expert practitioners examine your radial pulse with their fingers (Nadi diagnosis) and are able to identify up to 95 per cent of all known diseases from your pulse alone. They also check your tongue, face, eyes, nails and lips. They look closely at your pathological symptoms and many factors involving your general lifestyle, behavior and diet, in order to make recommendations that will balance you. It is a very comprehensive and holistic way to diagnose.

And if you study and begin to understand Ayurveda, you realize that your own body can tell you many things. Because, as Dr. John Diamond says, “your body doesn’t lie”. If you are experiencing some ailments like depression, constipation, dizziness, restless mind, insomnia, sciatica, backache, rheumatoid arthritis, varicose veins, menstrual disorders, dry skin or even wrinkles, chances are that your Vata dosha has being deranged. Negative emotions like fear, anxiety, timidity, lack of confidence, apprehension or nervousness contribute to derange the Vata dosha.

But if you are experiencing some ailments like irritability, anger, bitter taste in the mouth, peptic ulcer, hypertension, migraine headache, liver disorder or hemorrhoids, chances are that your Pitta dosha has being deranged. Negative emotions like anger, hatred, intolerance, resentment, impatience, indignation or irritability contribute to derange the Pitta dosha.

On the other side, if you are feeling very lethargic or your are experiencing ailments like sore throat, bronchitis, emphysema, or sinus congestion, chances are that your Kapha dosha has been deranged. Lethargy and negative emotions like stubbornness, possessiveness, greed or jealousy contribute to derange the Kapha dosha.

A quick Tibetan test

Your body can also tell you in some simple ways. Just observe it.Tibetans, for instance, use a simple daily test to know when they have a tendency towards a derangement of Vata, Pitta or Kapha. They collect their urine in a clear transparent jar first thing in the morning. Then they check the urine’s appearance to determine if they have an excess of air (Vata), bile (Pitta) or phlegm (Kapha) in their bodies at that moment.

How can they tell? Simple. If the urine looks watery, almost transparent, there is an excess of air in their bodies (Vata). If the urine has a strong yellow or brownish appearance, fire (Pitta) is predominant in their bodies at that moment. If the urine looks very pale and foaming, there is a predominance of phlegm (Kapha) in their bodies.

How can you balance a Vata, Pitta or Kapha derangement?

Ayurveda offers many ways to heal and restore your natural balance and energy. A targeted diet to “pacify” your specific deranged dosha is one of them. These are the general principles:

To pacify Vata: Realize that Vata is cold and dry. So have hot drinks like ginger tea, or chamomile tea. Center your diet around broths, cheese (warm, not cold) –as long as you are not lactose intolerant- , carrots, onions and spinach –cooked, not raw- , garlic and spices.Avoid cold foods such as salads (because raw salads increase the air in your body) and ice cream. Generally speaking, avoid cold foods, raw foods and dry foods. Eat warm, oily, moist foods instead. Have also regular meal times. Regularity is important too.

To pacify Pitta: Realize that Pitta is hot. So balance it with cold light foods such as cool water, salads, yoghurt and cooling herbs. Avoid meat and alcohol. Also avoid sour, salty, fried and spicy foods. Boring diet? Not necessarily, since Pitta people can enjoy oatmeal or pancakes for breakfast, salads for lunch and rice dishes and pasta for dinner.

To balance Kapha: Realize that Kapha is heavy, cold and humid. So balance it with dry, light foods, spices, vegetables and salads. Avoid sweet and salty foods. Also avoid dairy foods (because they are heavy and produce mucus in your body), fried foods (because they are oily) and frozen foods. Wheat is not good for Kapha. But you can enjoy muesli (without wheat) for breakfast and drink apple juice instead of cold milk. You can also enjoy salads (but with very little oil-based dressing) for lunch and dishes with basmati rice (other types of rice are heavy) or millet, or baked apples with clove and cinnamon for dinner.

What about life styles, daily routines and leisure?

Generally speaking, Vata people need to introduce regularity to their lives. Routine is good to pacify Vata. Yoga, meditation or gentle –not exhausting- exercises are good for Vata. Pitta people, on the other hand, tend to be very organized and are sometimes too achievement-oriented, so relaxing things and activities that do not involve competition (like a relaxing walk, or water and winter sports) are good to pacify an excess of Pitta. Kapha people tend to dislike exercise, but can derive benefit from it once they are motivated. They can also benefit from activity vacations that sparkle new interests. Reviewing and changing their routine often is beneficial for Kapha people.

Any other Ayurvedic treatments?

Sri Lanka Ayurveda
Traditional Ayurveda retreats & SPA's

As previously said, Ayurveda expert practitioners resort to many ways to heal and restore your natural balance and energy. A targeted diet for your dosha is just one of them. They use pre-detoxification techniques like massage with oils specific for your dosha (or snehana karma), sweat therapies (or swedana karma), yoga, internal detoxification (orpanchakarma), herbal natural remedies, sound therapy (or manthra karma) and even rejuvenation therapies (or rasayana).

Ayurveda is not only about therapy. It also teaches you how to contact your own awareness, how to bring it into balance, and how to extend that balance to the body. Ayurveda is a natural holistic approach for your body, mind and spirit.

मधुमेह के लिए घरेलू उपचार ..

खीरा ,करेला और टमाटर एक ही संख्या में लेकर जूस निकाल कर सुबह खाली पेट पीने से मधुमेह नियंत्रित होता है| जामुन की गुठली को पावडर करके एक एक चम्मच सुबह शाम खाली पेट पीने से मधुमेह में आराम मिलता है |सात पत्ते नीम के खाली पेट चबाकर अथवा पीस कर पानी के साथ पीने से मधुमेह में आराम मिलता है |सदा बहार के सात बूल खाली पेट जल के साथ चबा कर सेवन करने से मधुमेह में आराम मिलता है|

दिव्य गैसहर चूर्ण...

अज्वैन,काली मिर्ची,निम्बू का रस,जीरा,काला नमक,छोटी हरड,शुद्ध घी आदि|

इस चूरन के सेवन से भोजन का पाचन होकर उस से उत्पन्न होने वाले गैस,अमल्पित्त आदि रोग नही होता हैं|
भोजन के पश्चात पेट भारी होना,अफरा होना,दर्द,भोजन में अरुचि आदि रोगों से तुरंत लाभ करता है|
यह पेट की गैस तुरंत आराम करता है|

कफ रोगों का घरेलू उपचार...

बादाम गिरी १०० ग्राम
चीनी ५० ग्राम
काली मिर्च २० ग्राम

सबका पावडर बना क्र सुरक्षित रख लें|

एक चम्मच शाम के खाने के बाद गुनगुने दूध से सेवन करने से जीर्ण कफ रोग,नजला-जुकाम में विशेष लाभ होता है|यह प्रयोग कब्ज दूर करता है|
जिनको मधुमेह हो वे व्यक्ति चीनी का प्रयोग न करें और जिनको अम्लपित्त हो वे काली मिर्च १० ग्राम मात्रा में ही प्रयोग करें|

बवासीर व अति मासिक्स्राव ...

  1. नारियल की दाढ़ी (भूरे रेशे) को जलाकर राख बना लें|रख को छानकर रख लें |तीन-तीन ग्राम नारियल की यह भस्म सुबह-दुपहर-शाम तीन बार खाली पेट छाछ से ले लें|यह प्रयोग केवल एक ही दिन करना है|एक बार लेने से ही बवासीर ठीक हो जाती है|यह प्रयोग मासिक-धर्म में अतिरक्तस्राव तथा श्वेतप्रदर में भी लाभदायक है|
  2. वमन,हैजा,हिचकी में इस भस्म को एक एक ग्राम की मात्रा में थोड़े जल के साथ सेवन करने से विशेष लाभ मिलता है|

पुरानी खांसी की दवा..

काली मिर्ची दिन भर में ५-७ दाने धीरे धीरे चूसने से खांसी में पहले ही दिन से तत्काल लाभ मिलता है|एक बार में २-३ काली मिर्च मूंह में डाल कर चूसें|वर्षों पुरानी खांसी को हमने मिनटों में इस प्रयोग से ठीक होता देखा है|

हृदय रोग,अम्लपित्त,उदर रोग या मोटापे से ;लाभप्रद लोकी का रस...

लोकी ५०० ग्राम
पुदीना सात पत्तियां
तुलसी की सात पत्तियां

सभी का एक कप रस निकाल कर प्रतिदिन प्रात: काल खाली पेट पीने से हृदय की धमनियों में हुए अवरोध भी खुल जाते है|और अम्लपित्त एवम समस्त हृदय रोगों का नाश करने के लिए लोकी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए|

मोतियाबिंद 'नेत्रज्योति'

सफेद प्याज़ का रस १०मिली
निम्बू का रस १०मिली
अदरक का रस १०मिली
शहद ५०मिली

सभी को मिलाकर रखें|नियमित रूप से २-२- बूँद दवा आँखों में डालने से मोतियाबिंद कट जाता है|ग्लूकोमा के रोगी का आँख का दबाव कम हो जाने से धीर धीरे ठीक हो जाता है|

मोटापा एवं मधुमेह नाशक दलिया...

गेंहूँ ५०० ग्राम
चावल ५०० ग्राम
बाजरा ५०० ग्राम
साबुत मूंग ५०० ग्राम

सभी को समान मात्रा में लेकर सेक कर दलीय बना लें|इस में अज्वैन २० ग्राम तथा सफेद तिल पचास ग्राम भी मिला लें|आवश्यकता अनुसार लगभग ५० ग्राम दलिए को ४०० ग्राम पानी में डालकर पकाएं|स्वादानुसार सब्जियां और हल्का नमक मिला लें|नियमित रूप से १५-३० दिन तक दलिया का सेवन करने से मधुमेह समाप्त हो जाता है|मोटापे से पीड़ित हृदय रोगी इस दलिया का नियमित सेवन करने से अपना वजन कम कर सकता हैं|