स्त्रियों की बीमारियों के घरेलू उपचार...

स्तन-

  • गाय व भैंस का घी,काले तिल का तेल,काली निशोध,बच,सोंठ,गोल मिर्च,पीपल,हल्दी-इन सब दवायों को पीसकर नसे लेने से कुछ दिनों में ही गिरे स्तन पुष्ट एवं कठोर हो जाते हैं |
  • स्तन में गाँठ या सूजन हो तो पीसी हल्दी,ग्वारपाठे के रस में मिलाकर गर्म करके स्तन पर लेप करें ,लाभ होगा |
  • स्तनों में दर्द हो तो हल्दी की गाँठ को पानी में घिसकर लेप करने से दूर हो जाएगा |
  • स्तनों का समुचित विकास नही हो रहा है या वे अधिक लटकने लगे हैं तो रात को सोते समय प्याज के रस में शहद और चुटकी भर हल्दी मिलकर स्तनों पर मलें |
  • हल्दी ५ ग्राम,काली मिर्च १० ग्राम,२ ग्राम दालचीनी-इन सबकी तीन खुराक बना लें |२० ग्राम शहद में एक खुराक मिलाकर ३-३ घंटे से सेवन करें तथा दुखते स्तनों पर निम्बू के रस में शहद मिलाकर मलें |तीन-दिन में पकाव व विकार में चैन आ जायेगा |
  • हल्दी व आंवले को पीसकर छाछ के साथ लेने से कमर पतली हो जाती है और पेट घट जाता है |

प्रदर-

  • हल्दी चूर्ण,फिटकरी चुर्न्स्मान मात्र में,दुगनी शक्कर मिलाकर चौथाई चम्म्च नित्य तीन बार दूध में फंकी लें |रक्त प्रदर में लाभ होगा |
  • हल्दी पीसी हुई नौ चम्मच,फिटकरी आधा चम्मच मिलकर,आधा चम्मच दो बार ठन्डे पानी से रक्त प्रदर में लें |
  • हल्दी चूर्ण चीनी के साथ लेने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है |
  • दारु हल्दी का ६ ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर लेने तथा ऊपर से गाय की छाछ पिने से श्वेत प्रदर दूर होता है |
  • दारु हल्दी,बेलगिरी तथा रसौत -इन तीनों को समान भाग में लेकर ३-३ ग्राम शहद के साथ लेने से श्वेत प्रदर में शीघ्र लाभ होता है |
  • हल्दी के लडू खाने से श्वेत प्रदत में लाभ होता है |
  • दारु  हल्दी,रसौत,चिरायता,अडूसा,नाग्मोथा,रक्त चंदन,आक के फूल-पत्येक २५ ग्राम कूट-पीसकर ७०० मिली पानी में उबालें |आधा पानी रहने पर छान कर रख दें |उसमे १०० ग्राम शहद मिलाकर दिन में दो बार ५० ग्राम लेने से लाल.पीला सफेद सभी प्रकार का श्वेत प्रदर से राहत मिलती है |

मासिक धर्म-

  • हल्दी भून कर गुड के साथ देने से गर्भाशय शोथ एवं दुर्बलता नष्ट होती है |और मासिक धर्म ठीक होने लगता है |
  • नई आमा हलदी की गाँठ के साथ तुलसी के बीज सम्भाग में पीसकर योनी में छिडकने से योनी भ्रष्टता दूर होती है |
  • दारु हल्दी का काढ़ा ३०-३० मी.ली.दिन में २-३ बार लेने से मासिक स्राव सामान्य हो जाता है |

गर्भवती की उल्टियां-

  • दारु हल्दी का अर्क थोड़ी थोड़ी मात्र में लेने से गर्भावस्था की उल्टियां बंद हो जाती है |

प्रसव वेदना-

  • गर्भावस्था का नवां महीना लगने से प्रसव तक ५-५ ग्राम हल्दी चूर्ण दूध में मिलकाकर सुबह शाम पिलाने से प्रसव वेदना नहीं होती तथा प्रसव आसानी से हो जाता है |

महिलाओं में होने वाली प्रमुख बीमारियां:

  • महिलाएं अक्सर अपने परिवार का ध्यान रखने में इतनी मशगूल हो जाती हैं कि अपना ध्यान रखना भूल जाती ��
  • सर्वाइकल कैंसर- महिलाओं में मासिकधर्म के समय अधिक रक्त स्त्राव होना, असहनीय तकलीफ से गुजरना, गर्भाशय में भीतर व बाहर की ओर अनियंत्रित कोशिकाओं का बढना व मेनोपॉज के बाद भी रक्त स्त्राव होना आदि ऐसे लक्षण हैं जिनसे सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना बनी रहती है इसे भी गर्भाशय को ऑपरेशन के द्वारा शरीर से बाहर निकालकर �� ीक किया जा सकता है।
  • फाइब्रायड- फाइब्रायड यानी रसौली या ट्यूमर होना। लगभग 30 फीसदी महिलाएं फ ाइब्रायड नामक बीमारी से ग्रसित हैं। ये एक महिला के शरीर में एक से अधिक मात्रा में भी हो सकते हैं। अक्सर महिलाओं में ये बीमारी गर्भाशय की दीवार पर पनपती है जिससे बांझपन का खतरा बना रहता है। इसका इलाज भी ऑपरेशन के द्वारा संभव है।
  • ऑर्थराइटिस- यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें महिलाएं जोडों के दर्द से परेशान रहती हैं और सबसे ज्यादा तकलीफ घुटनों में होती है। इस बीमारी में जोडों में दर्द के साथ-साथ जलन, सूजन भी बढ जाती है। जब दर्द अधिक बढ जाता है तो ऑर्थराइटिस का रूप ले लेता है जिसे ऑपरेशन के द्वारा �� ीक किया जा सकता 
  • स्तन कैंसर- अक्सर महिलाओं में कम उम्र में स्तनों में छोटी गां�� ें हो जाती हैं जिन्हें वे या तो नजरंदाज कर देती हैं या फिर सही उपचार न मिल पाने के कारण वे कैं सर का रूप ले लेती हैं। स्तनों में गां�� ों के कारण वे �� ीक से विकसित नही हो पाते हैं और कोशिकाएं अनियंत्रित होकर बढने लगती हैं।
  • टीबी- ये ट्यूबरक्यूलोसिस बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है जो आमतौर पर फेफडों को प्रभावित करता है लेकिन इससे शरीर के और भी हिस्से संक्रमित हो सकते हैं इसका इलाज दवाइयों द्वारा संभव है।
  • वल्वर कैंसर- महिलाओं के जननांग के बाहरी हिस्से में यह कैंसर होता है। इसमें पेशाब के दौरान जलन, खुजली और रक्तस्त्राव इत्यादि होता है।
  • हृदयाघात - महिलाओं में कम उम्र में हार्ट अटैक होने की घटनाएं बढती जा रही हैं। हृदय और इससे संबंधित रोग भी महिलाओं में ही ज्यादा पाए जाते है। महिलाएं अक्सर बढती उम्र के हिसाब से अपनी सेहत का ध्यान नही रख पाती हैं और यही लापरवाही उनके दिल पर भारी पडती है।
  • डायबिटीज - डायबिटीज के दौरान शरीर में इंसुलिन हार्मोन बनना बंद हो जाता है, इसमें पेनक्रियाज ग्रंथि सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती है। इस ग्रंथि से इंसुलिन के अलावा कई तरह के हार्मोंस निकलते हैं जिनके �� ीक ढंग से काम नही करने पर कई बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं। डायबिटीज ऐसी बीमारी है जिससे महिलाएं ही ज्यादा ग्रसित होती हैं। 
  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज- महिलाओं की कमर के निचले हिस्से में फेलोपियन ट्यूब ब गर्भाशय तक ले जाने वाली नली में जलन होती है। इस बीमारी में पेट में दर्द होना, माहवारी के समय अधिक रक्तस्त्राव होना इत्यादि होता है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस- यह रोग जल्दी मेनोपॉज होने से , अधिक शराब व एल्कोहल लेने से और संतुलित खान-पान नहीं लेने से होता है। इस रोग में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें अत्यधिक दर्द होता है।
  • महिलाएं यदि अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें व समय-समय पर डॉक्टरी सलाह व जांच कराती रहें तो आप इन अनचाही बीमारियों से निजात पा सकती हैं।

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