बुढ़ापा रोकता है चौलाई का साग...

हरी पत्तेदार लोकप्रिय सब्जी-चौलाई पूरे भारत में उगाई जाती है |अधिकाँश लोग इस साग से अवगत होंगे |इसका अंग्रेजी नाम 'चाइना सिप्नैच"है| यह हरा साग भारत में काफी लोकप्रिय है |उत्तर भारत में लोग इसे विशेष पसंद करते हैं |यह सरसों,पालक आदि की तरह आसानी से मिल जाता है |कुछ लोग चौलाई को अन्य  सागों जैसे की बथुआ आदि के साथ मिलाना पसंद करते हैं |चौलाई का साग अति स्वास्थ्यवर्धक है,बशर्ते की आप इसे पचा पाए |इसे पचाने के लिए पाचन शक्ति का अच्छा होना आवश्यक है |जहां तक पोषण का सवाल है विटामिन ए,बी,व सी की कमी होने पर इसका सेवन फायदेमंद रहता है |इसमें ३९७ मिली ग्राम कल्शियम,८३ मिली,ग्राम फास्फोरस,२५.५ मिली ग्राम लोहा,९९ मिली ग्राम विटामिन सी,८५.७ प्रतिशत नमी,४.००प्रतिशत  प्रोटीन,०.५ प्रतिशत वसा,२.७ प्रतिशत खनिज,१.० प्रितशत रेशा व ६.१ प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट मौजूद है |
दीर्घायु के लिए'एमैरेंथ' का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए |यह साग असमय बुढापे को दूर करता है |और शरीर में कैल्शियम व लोहे ले अनियमित फैलाव को रोकता है,जो की अक्सर बुढापे में हो जाता है|टिशु में कैल्शियम व लोहे के अणुओं की अनियमित गतिविधियों से कैल्शियम वितरण प्रभावित होता है |चौलाई के नियमित सेवन से इन दोनों खनिजों का वितरण नियमित होता है जिसके फलसवरूप बुढ़ापा देर से व्यापता  है |