गुणों कि खान-करेला

करेला एक गुणकारी सब्जी है,इसकी खेती प्राय सभी प्रदेशों में कि जाती है|इसकी बेल से साल में दो फसलें ली जा सकती हैं|करेले के फूल पीले रंग के होते हैं|
करेले के रसायनिक विशलेशण में जल ९२.४%,खनिज पदार्थ ०.८%,प्रोटीन १.६%,वसा ०.२ %,कार्बोहाईडरेट्स ४.२%,केल्शियम ०.५%,फ़स्फ़ोर्स०.१४ %,लोहा २२ एम् जी ,विटामिन ऐ प्रति १०० ग्राम में २१० यूनिट,विटामिन बी प्रति १०० ग्राम में २३४० यूनिट,विटामिन सी प्रति १०० ग्राम में ८८ मिलीग्राम होता है|
आयुर्वेद के मतानुसार करेला,रुचिकारक,भूख बदाने वाला,पाचन करने वाला,खून साफ़ करने वाला,शोध्नाशक,आँखों के लिए लाभकारी,स्तन्य शोधक,मेड,गुल्म,प्लीहा,शुल्नाश्क है 

यह ज्वर ,पित्त,कफ,पीलिया रोग,प्रमेह व क्रमिनाश्क भी होता है |

कई रोगों में ओषधि व पथ्य  के रूप में यह हितकर व लाभदायक है |



  • मधुमेह में करेला महा औषधि है|रोजाना प्रात ताजे करेले का रस पीने  से लाभ होता है|छाया में सुखाये हुए करेले का चूर्ण ६ ग्राम दिन में एक बार लेने से मूत्र में शर्करा आनीबंद हो जाती है|
  • यदि किसी कारणवश पेशाब के साथ खून आता हो  तों एक छोटे करेले का रस ३ दिन तक दोपहर में पीने से लाभ होता है व खून आना बंद हो जाता है|
  • ५ तोंला करेले के रस में १ या २ माशा क्ल्मिशोरा या यवाक्षार मिलाकर  लेने से साधारण पथरी टूट कर  मूत्र से आसानी से निकल जाती है|
  • भोजन कि इच्छा न होना,बिना खाए ही खट्टी डकारें आना,साधारण श्रम से ही थक जाना ,भूख कि कमी,कब्ज होना ये सब मन्दाग्नि के लक्षण हैं|करेला स्वयम अरुचिकर होते हुए भी अरुचि को नष्ट करता है|करेले कि कम तेल मसाले कि सब्जी सप्ताह भर खाने से मन्दाग्नि,उदर रोग,कब्ज,अफरा आना सभी रोग नष्ट होते हैं|
  • करेला,पीपल के १० हरे पत्ते बारिक पिस कर छानकर पाँव जल के साथ नित्य सवेरे पीने  से खुनी  बवासीर एक सप्ताह में अच्छी हो जाती है|
  • क्रमि रोग:करेले का ताज़ा रस दो या ढाई तोंला लेकर उसमे नीम का रस ,लहसुन का रस,बायविन्डग्  का चूर्ण ३-४ माशा,इनमे से कोई भी एक रस या चूर्ण इसके रस के साथ पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |
  • चुन्या रोग:करेले का रस १ चम्मच मिलकर उसके बाद बच्चे को दूध पीला दें या शहद कहता दें तथा कुछ करेले का रस हाथ से बच्चे कि गुदा में भी लगा दें,इससे पेट के सारे छोटे छोटे कीड़े मर जायेंगे|
  • सर दर्द:सिरदर्द होने पर करेले के रस का लेप करने से सिरदर्द दूर हो जाता है|
  • मोटापा:करेले के रस में निम्बू का रस मिलाकर पिन या उसमे १/२ ग्राम यवक्षार मिलकर पीने  से मोटापा कम होता है|
  • सूजन:करेले का रस ५ टोला,मकोय का रस या अर्क १ टोला नित्य प्रात खाली पेट व सायं खाने के बाद पीने से सभी प्रकार कि सूजन में लाभ मिलता है|
  • गठिया:करेले कि चटनी पीसकर यदि गठिया कि सूजन पर लेप किया जाये तों सूजन कम हो जाती है तथा इसके बाद करेले के रस में राय का तेल मिलाकर मालिश करने से दर्द भी कम हो जाता है|
  • स्तन्य शुधि के लिए:दूध पिलाने वाली मान का दूध अगर दूषित हो जाए व बच्चे कि तबियत माँ के दूध के कारण बिगड जाये तों मान को कुछ दिन तक करेले कि सब्जी खानी चाहिए,जिससे दूध शुद्ध हो जाता है|
  • मुखपाक होने पर:मुंह में छाले होने पे करेले के रस से कुला करें |

ड्राई माऊथ...


मुंह में लार कि प्रक्रिया कम हो जाने पर ड्राई माऊथयानी मुंह सूखने कि समस्या उत्पन्न होती है| अधिकतर लोगों को यह पता ही नही होता के उन्हें ड्राई माऊथ कि समस्या है |

ड्राई माऊथ होने पर मुंह से बदबू आने कि समस्या उत्पन्न हो जाती है,ऐसे में मिलने जुलने वाले उस से दूर भागने लगते हैं|दाम्पत्य संबंध में भी खटास आने लगती है|

कारण:


  • पानी में फ्लोराइड कि मात्र में कमी,शरीर में पानी कम होना,अनियमित दिनचर्या,भूखे रहना,देर रात तक जागना,कई दिनों तक जागना,पोष्टिक खानपान कि कमी,एसिडिटी,कब्ज अधिक होने से भी मुंह में लार कम बनती है|
  • टीबी,मानसिक व नर्व संबंधित बीमारियाँ,डायबिटीज,एच आई वि या एड्स के ट्रीटमेंट के वक्त इस्तेमाल कि जाने वाली दवा आदि से ड्राई माऊथ कि समस्या हो सकती है|
  • अस्थमा के रोगी,जो नियमित पंम्प लेते हैं,उन्हें भी यह समस्या हो जाती है|
  • केंसर के इलाज़ के लिए सर,गर्दन के आसपास रेडिएशन ट्रीटमेंट देने का प्रभाव लार्ग्रंथियों पर पड़ता है,कीमोथेरपी के दुष्प्रभाव कि वजह से भी ड्राई माऊथ कि समस्या होने कि संभावना है|

लक्षण:

  • मुंह के अंदर सूखापन  महसूस होना
  • मुंह के किनारों का फटना
  • लार का गाढ़ा होना
  • खाने या निगलने में तकलीफ होना
  • जीभ पर जलन या झनझनाहट होना
  • मुंह में बदबू आना

उपाय:

  • दांतों,म्सुरों और जीभ कि साफसफाई पर विशेष ध्यान दें|
  • दांतों कि सफाई के लिए निकोटिन वाले पेस्ट या पाउडर का इस्तेमाल न करें|और न ही सुपारी,लाल मिटटी,आदि से बनने वाले पाउडर का इस्तेमाल करें|यह दांतों के इनीमल को नष्ट कर  देता है|
  • तन्बाकु,गुटका भी दांतों,और मुंह को नुक्सान पहुंचाते हैं|इन में पाए जाने वाले जहरीले तत्व मुंह में लार बनने कि प्रक्रिया को कम कर देते  हैं |
  • अल्कोहलयुक्त माऊथ वाश का इस्तेमाल न करें,इस से मुंह सूखने लगता है|
  • नामक का इस्तेमाल कम से कम करें,अधिक नमक लगे तले भुने खादपदार्थ खाने से मुंह में लार कम बनती है|
  • खूब पानी पिए,रात में भी प्यास लगने पर पानी जरूर पियें|
  • पेट को साफ़ रखें|कब्ज कि शिकायत होने पर पेट में गैस और एसिडिटी बनने लगती है जिस से मुंह में लार बनने में दिक्कत होती है|
  • जो लोग नाक के बजाए मुंह से सांस लेते हैं,उन्हें भी मुंह सूखने कि तकलीफ होती है,हमेशा नाक से ही सांस लें|
  • अधिक मात्र में चिप्स,वेफर्स,क्रेकर्स आदि का इस्तेमाल न करें|इसको खाने के बाद मुंह सूखने लगता है|


पोष्टिक खाएं स्ट्रेस भगाएं...

आंवला:

आयुर्वेद में आंवला सब से ज्यादा इस्तेमाल होने वाला फल है|इस में विटामिन सी होता है|जो शरीर को लचीला बनाता है,तनाव का एक लक्षण यह भी है कि शरीर में खून कि नलियाँ संकुचित हो जाती है,जिस से परेशानियां बढ़ जाती हैं|तनाव से बचने के लिए प्रतिदिन २ आंवलों का सेवन करना चाहिए,आंवला ऐसा फल है जिस के गुणकारी तत्व सूखने पर भी नष्ट नहीं होते,इस का फायदा उठाकर इसे सुखा कर ऑफ सीजन के लिए संरक्षित कर लें| इस के इलावा अमरुद में भी विटामिन सी  प्रचुर मात्रा में पाया जाता है|


कैमोमाइल :

माना जाता है कि १८०० इस्वी में इस का इस्तेमाल हिस्टीरिया के उपचार में किया जाता था,अब इसका इस्तेमाल उतेजना पर नियंत्रण रखने के लिए किया जाने लगा  है |रिसर्च के मुताबिक इस में पाचनतंत्र सुधरने और नर्वस सिस्टम से जुडी परेशानियों के निवारण का गुण भी मौजूद है,जब भी तनाव हो दूध कि चाय के बदले कैमोमाइल चाय लें|



ओटमील(जई का दलिया)

ओट में सोल्युब्ल फाइबर काफी मात्रा में पाया जाता है,जो कोलेस्ट्रोल कम कर के ह्रदय संबंधी रोगों कि  
संभावनाओ को क्षीण कर  देता है|इसमें फाईटोकेमिकल भी मौजूद होता हैं,जो पाचनतंत्र को सुचारू रूप से चलने में मदद करते हैं और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखते हैं|तनाव से इन दोनों पर गहरा असर पड़ता है और इन पर नियंत्न रखने से तनाव पर भी नियंत्रण रहता है|एक दिन में ३ बड़े चम्मच ओट खाएं इसे दही,दाल ,सलाद में मिला कर लिया जा सकता है|ब्रेकफास्ट में ओटमील लेना अच्छा विकल्प है|या फिर एक वक्त कि रोटी में सफेद आते कि जगह ओट के आटे का इस्तेमाल करें|


सेब:

सेब में फास्फोरस और आयरन प्रचुर मात्र में पाया जाता है|जिस से ओक्सिदेटीव् स्ट्रेस यानी तनाव कम होता है |इस के साथ शरीर कि कोशिकायों का भी निर्माण होता है,जो सामान्य  तौर पर तनाव के वक्त घटती ही जाती है.तनाव हमारे चेहरे पर स्पष्ट नज़र आता है,ऐसे में सेब कि मदद से चेहरे और त्वचा कि कोशिकायों का निर्माण किया जा सकता है|जिस से तनाव का मारा भावहीन चेहरा नज़र न आ सके| प्रतिदिन एक सेब जरूर खाएं,इस से हमारे शरीर में फाइबर भी पहुंचता है|

केला:

केला पौटाशियम और कार्बोहाईडरेट्स का बेहतरीन स्त्रोत है,इसमें मौजूद तत्व हमारे दिमाग को शांत करता है|शरीर में  पौटाशियम कि कमी से सांस लेने में तकलीफ,थकान और बलड शुगर का स्तर कम हो जाता है यह सभी तकलीफे तनाव होने पर होती है|केले में मौजूद पौटाशियम प्रचुर मात्रा में होने कि वजह से यह तनाव के वक्त होने वाली परेशानियों को एकदम कम कर देता है|जिस से हम तनाव से ज्यादा प्रभावित नहीं होते|

निम्बू एक-गुण अनेक...

निम्बू का सेवन प्रत्येक मौसम में किया जा सकता है|निम्बू का मुख्य कार्य शरीर में एकत्रित विषों को नष्ट कर शरीर से बाहर निकलना  है|उबलते हुए पानी में निम्बू निचोड़ कर पिने से पूरे शरीर में नई शक्ति-स्फूर्ति अनुभव होती है|इस से आँखों कि रौशनी भी तेज होती है तथा मानसिक दुर्बलता,सिरदर्द बंद हो जाता है| निम्बू में विटामिन 'सी' का प्रचुर भण्डार है|

रक्त क्षीणता :

जिनके शरीर में रक्त कि कमी हो अथवा शरीर दिन ब दिन गिरता जाये तो ऐसे लोगों को टमाटर के रस के साथ निम्बू के रस का सेवन करना चाहिए|

उदर  रोग:

एक गिलास  गर्म पानी में निम्बू का रस मिलकर बार बार पिने से संपूर्ण पाचन तंत्र और शरीर कि धुलाई हो जाती है|इससे शरीर में तथा रक्त में जमा सभी विषेले पदार्थ मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते है|यकृत के समस्त रोगों में निम्बू लाभदायक है|अपच होने पे निम्बू को काटकर उस पर नमक डालकर गर्म करके चूसने से खाना आसानी से पच जाता है|

पेट-दर्द

१२ ग्राम निम्बू का रस,६ ग्राम अदरक का रस तथा इतना ही शहद,मिलाकर पीने  से पेट दर्द ठीक हो जाता है|निम्बू कि फांक में काला नमक नमक ,काली मिर्च एवं जीरा भर कर गर्म करके चूसने से भी पेट दर्द ठीक हो जाता है|भूख न लगने पर निम्बू और अदरक कि चटनी का सेवन करें,इस से हरा धनिया भी मिला सकते हैं|

कब्ज:

निम्बू का रस गर्म पानी में डालकर रात में लें तो सुबह खुलकर पेट साफ़ हो जाता है|निम्बू का रस और शक्कर  १२ ग्राम एक गिलास पानी में मिलाकर सब को पिने से कुछ दिनों में पुराने से पुराना कब्ज ठीक हो जाता है|

दस्त:

दूध में नीबू निचोडकर पीने  से दस्त में लाभ होता है|एक निम्बू का रस एक चम्मच पानी,जरा सा नमक और शक्कर मिलकर पांच बार नित्य पीने  से दस्त बंद हो जाते हैं|

अम्ल पित्त:

निम्बू अम्ल का नाश करने वाला है|निम्बू का रस गर्म पानी में डालकर सायंकाल में पीने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है|एक कप गर्म पानी में एक चम्मच निम्बू का रस एक एक घंटे में तीन बार लें|

सर दर्द:

निम्बू चाय में निचोड़ कर पीने से लाभ होता है|निम्बू कि पत्तियों को कूट कर रस निकालकर सूंघने से भी सर दर्द ठीक हो जाता है|दिल घबराने,छाती में जलन होने पर ठन्डे पानी में निम्बू निचोडकर पीने से लाभ होता है|चक्कर आने पर  एक कप गरमपानी में डेढ़ चम्मच निम्बू का रस डालकर पीने से लाभ होता है|

ज्वर:

जिसमे रोगी को बार बार प्यास लगती हो तो ऐसे में उबलते पानी में निम्बू निचोडकर पिलाने से ज्वर का तापमान गिर जाता है|मात्रा पानी एक कप  निम्बू का रस दो चम्मच|

  • दो निम्बू काटकर २५० ग्राम पानी में डालकर उबालें|जब पानी आधा रह जाये तो उतार कर छान लें|इसमें दो ग्राम सेंध नामक सेंक कर मिला लें और पि लें|यह एक खुराक है एवं ऐसे दिन में दो तीन बार लें|भोजन न करें|
  • पानी में निम्बू निचोडकर स्वादानुसार शक्कर मिलकर पीने से मलेरिया ठीक होने में मदद मिलती है|फ्लू में भी गर्म पानी में निम्बू मिलकर पीने से इस रोग से बचा जा सकता है|